नेपाल के अंतिम गांव में एक दिन

छांगरू में इस समय करीब 120 और तिंकर में 72 घर हैं। दोनों गांवों में करीब 1200 लोग रहते हैं। छांगरू के घरों की भव्यता इनके संपन्न अतीत को बयां करती हैं। अतीत में जब तिब्बत के साथ व्यापार में रोक-टोक नहीं थी तो छांगरू और तिंकर उसका प्रमुख केंद्र थे।

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छांगरू की गुफा में रहस्यमय कंकाल

कंकालों से भरी छांगरू की गुफा का रहस्य अब तक अनसुलझा है। आखिर ये कंकाल किसके हैं। कितने पुराने हैं। इन्हें इस खतरनाक चट्टान वाली गुफा तक किसने और कैसे पहुंचाया। क्या यह कंकाल, इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म के प्रचलन का सबूत हैं या फिर उच्च हिमालय का यह प्राचीन गांव अतीत में किसी महामारी की भेंट चढ़ने के संकेत हैं।

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तिब्बती व्यापारी

भारतीय हिमालयी सरहदों के ऊँचाई वाले इलाकों में रहने वाले समुदायों का तिब्बती समाज से गहरा रिश्ता रहा है। वर्ष 1957 में अमेरिकी फिल्मकार जे माईकल हैगोपियन ने जाड व्यापारियों के जीवन पर ‘तिब्बतन ट्रेडर्स’नाम से महत्वपूर्ण वृतचित्र बनाया था जिसका ज्ञानिमा ने हिंदी रूपांतरण किया है।

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