नेपाल के अंतिम गांव में एक दिन

छांगरू में इस समय करीब 120 और तिंकर में 72 घर हैं। दोनों गांवों में करीब 1200 लोग रहते हैं। छांगरू के घरों की भव्यता इनके संपन्न अतीत को बयां करती हैं। अतीत में जब तिब्बत के साथ व्यापार में रोक-टोक नहीं थी तो छांगरू और तिंकर उसका प्रमुख केंद्र थे।

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छांगरू की गुफा में रहस्यमय कंकाल

कंकालों से भरी छांगरू की गुफा का रहस्य अब तक अनसुलझा है। आखिर ये कंकाल किसके हैं। कितने पुराने हैं। इन्हें इस खतरनाक चट्टान वाली गुफा तक किसने और कैसे पहुंचाया। क्या यह कंकाल, इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म के प्रचलन का सबूत हैं या फिर उच्च हिमालय का यह प्राचीन गांव अतीत में किसी महामारी की भेंट चढ़ने के संकेत हैं।

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उत्तराखंड की फागुनी बहारें

भारत में लोक उत्सव गतिशीलता और विविधता के अनूठे उदाहरण हैं। लोक उत्सवों की इस विविधता का एक रूप उत्तराखंड की होली है। यहाँ यह बसंत ऋतु का सबसे महत्वपूर्ण लोक उत्सव है। लम्बे ठिठुरन भरे महीनों के बाद फागुन के आते ही जैसे-जैसे पहाड़ों में तापमान बढ़ना शुरू होता है, प्रकृति भी अपना रूप बदलने लगती हैं।

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मुखौटों की हिल जातरा

हिल जातरा उत्तराखंड का पारम्परिक लोक नाट्य उत्सव है। इस उत्सव में कलाकार अलग अलग रंगों और आकारों के मुखौटे पहन कर अभिनय करते हुए अपनी भागीदारी दर्ज करते हैं। यह लेख इस मुखौटों की दुनिया को डिजिटल चित्रों में उकेरने का एक प्रयास है।

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खेती का उत्सव – हिलजातरा

ग्रामीण जीवन में मनोरंजन की दॄष्टि से लोक नाट्यों का महत्वपूर्ण स्थान है। कुमाऊँ की सोर घाटी में आयोजित होने वाली हिलजातरा ऐसा ही एक लोकनाट्य है। खेतों में हाड़ तोड़ मेहनत से फसल की बुआई और उसके बाद कटाई से उपजा सुख लोक मनोरंजन के ऐसे तत्व है जो इस लोकनाट्य का संसार बुनते हैं।

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गमरा – भारत व नेपाल की साझी संस्कृति

गमरा उत्सव महाकाली नदी के दोनों ओर, कुमाऊँ और पश्चिमी नेपाल में, मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण लोक उत्सव है। गमरा में और प्रकॄति और मनुष्य के गहरे और आत्मीय रिश्तों की अभिव्यक्ति होती है। स्त्री केन्द्रित इस उत्सव में समूचा समाज गतिशील होकर एकता की अद्भुद बानगी पेश करता है।

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