गिर्दा की दास्तान

जन कवि, कलाकार, गायक, संगीतकार, रंगमंचकर्मी एवं आन्दोलनकारी गिरीश तिवारी उर्फ गिर्दा पर लिखी गई यह कहानी, यह गाथा, यह दास्तान पूर्णतया मौलिक नहीं है क्योंकि यह कई आवाजों का संकलन भी है। इसमें अनेक लोगों की श्रद्धांजलियों और लेखों से कथानक, शब्द और संवाद लिए गए हैं।

आगे पढ़े

कैसे पहाड़? किसका उत्तराखण्ड?

फिर एक चुनाव प्रक्रिया पूर्ण हुई। नई सरकार बनी। कुछ दिनों तक चुनावी राजनीति पर चर्चा बनी रहेगी और फिर पाँच साल का सन्नाटा,और जब हम जागेंगे तब तक उत्तराखंड एक मैदानी राज्य बन चुका होगा! क्योंकि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य ही नहीं बचेगा इसलिए पहाड़ बहस का मुद्दा भी नहीं रहेंगे। इस जटिल स्थिति से निजाद पाने के हमारे पास तीन तरीके हैं।

आगे पढ़े